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 बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग :  यहां आज भी माता कुंती करने आती है पूजा-अर्चना, जानिए मान्यता

 बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

 बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

 बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग : महाभारत काल का हर अध्याय, हर घटना, और हर स्थल एक गहरी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता रखता है। उनमें से एक महत्वपूर्ण स्थान है बाराबंकी जिले का कुंतेश्वर धाम। जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब वे बाराबंकी जिले के बदोसराय कस्बे से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजा विराट की नगरी में कुछ वर्षों तक रहे। इस समय में कई अद्भुत घटनाएं घटित हुईं, जिनमें से एक माता कुंती द्वारा  की स्थापना है।

भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना कर पारिजात

माता कुंती को सपने में भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि अगर वह भगवान शिव के शिवलिंग की स्थापना कर पारिजात वृक्ष के पुष्प से उनकी पूजा करेंगी, तो पांडवों की जीत सुनिश्चित होगी। भगवान कृष्ण का यह संदेश न केवल महाभारत के युद्ध में विजय की कुंजी थी, बल्कि एक धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से भविष्य में इस स्थान की महत्ता को भी सुनिश्चित करना था। माता कुंती ने भीम को आदेश दिया कि वह कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाकर यहां स्थापित करें। भीम ने माता के आदेश का पालन करते हुए कैलाश पर्वत से शिवलिंग लाया और माता कुंती ने उसे कुंतेश्वर धाम में स्थापित किया। इसके बाद अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष से तीर चलाकर स्वर्ग से पारिजात वृक्ष को पृथ्वी पर स्थापित किया और इसी पुष्प से माता कुंती ने भगवान शिव के शिवलिंग की पूजा अर्चना की।

कुंतेश्वर धाम की स्थापना और धार्मिक महत्व : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

कुंतेश्वर धाम का नाम माता कुंती के नाम पर पड़ा और यह स्थान बाराबंकी जिले के बदोसराय कस्बे से महज 2 किलोमीटर कीदूरी पर स्थित है। यह धाम न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए भी एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां आने वाले भक्त शिवलिंग की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करते हैं। इस धाम की स्थापना से लेकर आज तक, यहां की महिमा और चमत्कारों की कहानियां भक्तों के बीच प्रचलित हैं।

अदृश्य शक्ति और शिवलिंग की पूजा

 कुंतेश्वर धाम का सबसे रोचक और रहस्यमय पहलू यह है कि भक्तों का मानना है कि आज भी माता कुंती प्रतिदिन सुबह शिवलिंग की पूजा अर्चना और जलाभिषेक करती हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि जब से इस मंदिर की स्थापना हुई है, तब से आज तक जब भी मंदिर के कपाट सुबह खोले जाते हैं, तो शिवलिंग का अभिषेक किया हुआ मिलता है। यह मान्यता है कि कोई अदृश्य शक्ति प्रतिदिन सुबह शिवलिंग की पूजा करती है। यह तथ्य न केवल भक्तों के बीच बल्कि वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक रहस्य है।

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वैज्ञानिकों की खोज और निगरानी : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

शिवलिंग की प्रथम पूजा कौन और किस रूप में करके चला जाता है, इसका पता लगाने के लिए कई वैज्ञानिक और दिल्ली से कई टीमें आई थीं। उन्होंने रात-रात भर जागकर शिवलिंग की निगरानी की, फिर भी यह पता नहीं चल सका कि शिवलिंग की पूजा कौन करता है। वैज्ञानिकों ने अपनी उच्च तकनीकों और साधनों का प्रयोग करके इस रहस्य को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकाम रहे। किसी न किसी बहाने निगरानी होने के बावजूद भी पलक झपकते ही शिवलिंग पर पुष्प अक्षत के साथ जलाभिषेक किया हुआ मिलता है।

भक्तों की आस्था और विश्वास

मंदिर समिति के अध्यक्ष जयचंद यादव ने बताया कि लोगों की आस्था मंदिर के प्रति हजारों वर्षों से बनी हुई है। यहां पर लोग देश-विदेश से भी भगवान के दर्शन के लिए आते हैं और जो भी मन्नत मांगते हैं, भगवान भोलेनाथ उनकी मन्नत पूरी करते हैं। भक्तों का यह भी मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा अर्चना करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह स्थान भक्तों के लिए एक आस्था और विश्वास का प्रतीक बन चुका है।

पारिजात वृक्ष और इसका महत्व

कुंतेश्वर धाम से कुछ किलोमीटर की दूरी पर बरौलिया गांव में अर्जुन द्वारा स्वर्ग से लाया हुआ दुनिया का एकमात्र पारिजात वृक्ष भी स्थित है। यह वृक्ष इस बात का गवाह है कि यह शिवलिंग महाभारत कालीन है और माता कुंती द्वारा ही स्थापित किया गया है। पारिजात वृक्ष का उल्लेख महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, और यह वृक्ष अपनी अद्भुत और चमत्कारी गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी उपस्थिति इस स्थान की प्राचीनता और धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा देती है।

ऐतिहासिक प्रमाण और धार्मिक कहानियां

कुंतेश्वर धाम के संबंध में कई धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियां प्रचलित हैं। यह माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने माता कुंती को दर्शन दिए थे और उन्हें आशीर्वाद दिया था। इसके अलावा, कई पुरातात्विक प्रमाण और धार्मिक ग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह स्थान महाभारत काल का है और यहां की घटनाएं सत्य हैं। इस धाम की प्राचीनता और इसके शिवलिंग की महत्ता को लेकर कई शोध और अध्ययन भी किए गए हैं।

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धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। यहां की धार्मिक मान्यताएं, चमत्कारी घटनाएं, और ऐतिहासिक प्रमाण इस धाम की महत्ता को और भी बढ़ा देते हैं। यह धाम भक्तों के लिए एक आस्था और श्रद्धा का प्रतीक है और यहां आने वाले हर व्यक्ति के दिल में एक अनोखी शांति और संतोष की भावना उत्पन्न होती है।

 

भक्तों के अनुभव और कहानियां

कुंतेश्वर धाम के प्रति भक्तों के अनुभव और कहानियां भी बहुत प्रेरणादायक हैं। कई भक्तों ने यहां पर अपनी मन्नत पूरी होते हुए देखा है और उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है। यहां पर आने वाले भक्तों की कहानियां इस स्थान की महत्ता को और भी बढ़ा देती हैं। भक्तों का मानना है कि इस धाम में आने से उनकी सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और उन्हें एक नई ऊर्जा और आत्मविश्वास मिलता है।

धार्मिक साहित्य और ग्रंथों में उल्लेख

धार्मिक साहित्य और ग्रंथों में मिलता है। महाभारत, पुराणों, और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इस स्थान की महत्ता और यहां की घटनाओं का वर्णन किया गया है। यह धाम धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके बारे में जानने और समझने से भारतीय संस्कृति और इतिहास की गहराईयों का पता चलता है।

कुंतेश्वर धाम के चमत्कार और रहस्य : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

कुंतेश्वर धाम के चमत्कार और रहस्य भक्तों और शोधकर्ताओं के लिए एक रहस्य ही बने हुए हैं। यहां की अदृश्य शक्ति और शिवलिंग की पूजा का रहस्य न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक चुनौती बना हुआ है। यह धाम अपनी अद्भुत और चमत्कारी घटनाओं के लिए जाना जाता है और यह भक्तों के लिए एक धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है।

 

धार्मिक पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था

कुंतेश्वर धाम धार्मिक पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिवर्ष बढ़ती जा रही है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलता है। धार्मिक पर्यटन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय लोगों के जीवन स्तर को सुधारने में भी मदद करता है।

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धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

कुंतेश्वर धाम में धार्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यहां पर वेदों, पुराणों, और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन और उनके महत्व को समझाने के लिए विशेष कक्षाओं और कार्यक्रमों का आयोजन होता है। यह धार्मिक शिक्षा भक्तों के बीच धार्मिक ज्ञान और संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

मंदिर की संरचना और वास्तुकला

कुंतेश्वर धाम का मंदिर अपनी अद्वितीय संरचना और वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। मंदिर की बनावट और उसमें की गई नक्काशी भारतीय वास्तुकला की उत्कृष्टता को दर्शाती है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह, जहां शिवलिंग स्थापित है, भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां की धार्मिक मूर्तियाँ और सजावट अद्वितीय और आकर्षक हैं।

 

आध्यात्मिक अनुभव और शांति : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

कुंतेश्वर धाम में आने वाले भक्तों को एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव और शांति प्राप्त होती है। यहां की धार्मिक माहौल और शांत वातावरण भक्तों के मन को शांति और संतोष प्रदान करते हैं। यह धाम न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि एक आत्मिक शांति का स्थल भी है।

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भविष्य की योजनाएं और विकास

कुंतेश्वर धाम की महत्ता को देखते हुए भविष्य में इसके विकास और विस्तार की योजनाएं भी बनाई जा रही हैं। यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं और सेवाएं प्रदान करने के लिए कई परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। यह धाम भविष्य में भी अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को बनाए रखते हुए भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बना रहेगा।

 

समापन : बड़ा ही चमत्कारी शिवलिंग

कुंतेश्वर धाम एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए बल्कि अपने चमत्कारों और अदृश्य शक्तियों के लिए भी जाना जाता है। माता कुंती द्वारा स्थापित यह शिवलिंग और यहां के अद्वितीय पारिजात वृक्ष महाभारत काल की घटनाओं और धार्मिक मान्यताओं के जीवंत प्रमाण हैं। यहां आने वाले भक्तों के लिए यह धाम आस्था, श्रद्धा, और विश्वास का प्रतीक है। इस धाम की प्राचीनता, धार्मिक महत्ता, और चमत्कारी घटनाएं इसे एक अद्वितीय धार्मिक स्थल बनाती हैं, जहां हर भक्त को एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होता है।

 

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