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शिलानाथ मंदिर : शिव के 9 धामों में से एक, भैरव को छोड़ गए थे शिव! कहानी

शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर : मधुबनी जिले के हृदय में स्थित शिलानाथ मंदिर, शिव के 9 धामों में से एक, एक अद्वितीय पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी स्थापना और इससे जुड़ी कहानियां भी अत्यंत रोचक और रहस्यमय हैं। इस मंदिर के साथ जुड़ी पौराणिक कथाओं ने इसे स्थानीय और दूरदराज के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है।

पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व

शिलानाथ मंदिर की उत्पत्ति और स्थापना की कहानी कमला नदी के किनारे से जुड़ी है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, इस स्थान पर शिव और पार्वती (अर्धनारीश्वर) की उत्पत्ति हुई थी। यह स्थल अपने आप में दिव्यता और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है। कहा जाता है कि कमला नदी के किनारे पर शिव और पार्वती का अर्धनारीश्वर रूप प्रकट हुआ था। प्राचीन संतों और ऋषियों ने इस घटना को दिव्य दृष्टि से देखा और इस स्थल को पवित्र मानते हुए शिव से यहां बसने का आग्रह किया।

शिव ने संतों के आग्रह को स्वीकार किया लेकिन कहा कि कलयुग के प्रारंभ होते ही वे इस स्थल को छोड़ देंगे। संतों ने फिर भी शिव से आग्रह किया कि वे यहां रहें और इस स्थल को अपने दिव्य उपस्थिति से पवित्र करें। कुछ समय बाद, एक भीषण बाढ़ आई जिसने इस पवित्र स्थल को तहस-नहस कर दिया। बाढ़ के कारण शिव को इस स्थल को छोड़ना पड़ा, लेकिन उनके साथ आए भैरव को उन्होंने यहां रहने का आदेश दिया। भैरव ने इस स्थल की रक्षा की और तब से यहां भैरव की पूजा शिव के रूप में की जाने

अलौकिक इतिहास : शिलानाथ मंदिर

स्थानीय पुजारियों के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास अत्यंत अलौकिक और रहस्यमय है। कलयुग के आगमन से पहले, इस स्थल पर शिव का अर्धनारीश्वर स्वरूप नदी की धारा से प्रकट हुआ था। उस समय के महान संतों को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने शिव से इसी स्थल पर बस जाने को कहा। शिव ने जवाब में कहा कि कलयुग की शुरुआत होते ही मैं इस स्थल से निकल जाऊंगा। संतों और ऋषि-मुनियों ने शिव से आग्रह किया कि वे यहां रहें और इस पवित्र स्थल को अपनी उपस्थिति से संरक्षित करें।

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कुछ समय गुजर जाने के बाद, शिव ने एक पुजारी को स्वप्न में बताया कि वे इस स्थल को छोड़कर जा रहे हैं क्योंकि कलयुग का समय बहुत नजदीक आ गया है। पुजारी ने उनसे पुनः रुकने की याचना की, लेकिन शिव ने अस्वीकार करते हुए भैरव को इसी स्थल पर रहने का आदेश दिया। शिव ने पुजारी से कहा कि आज से भैरव के रूप की पूजा मेरे रूप में की जाएगी। तब से इस स्थल को शिलानाथ महादेव के नाम से जाना जाने लगा।

दरभंगा महाराजा का योगदान

शिलानाथ मंदिर के जीर्णोद्धार और इसके संरक्षण में दरभंगा महाराजा सह महाज्योतिष पंडित विश्वेश्वर सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। उन्होंने इस पवित्र स्थल के पुनर्निर्माण का जिम्मा उठाया और पुजारियों को भी स्थापित किया। दरभंगा महाराजा ने न केवल मंदिर निर्माण का कार्य कराया, बल्कि पुजारियों के पारिवारिक भरण-पोषण के लिए कुल 36 एकड़ संपत्ति दान की। इस संपत्ति का उपयोग पुजारियों के परिवारों की आजीविका के लिए किया जाता है।

वर्तमान में, इस स्थल पर पांच अलग-अलग पुजारियों के परिवार रहते हैं। यह स्थान हर दिन भक्तों से भरा रहता है, जो यहां आकर शिव की उपासना करते हैं। लेकिन सोमवार का दिन विशेष होता है, जब यहां का नजारा अत्यंत भव्य होता है। श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या यहां इकट्ठी होती है और पास में स्थित कमला नदी की धारा से शिलानाथ महादेव पर जल अर्पित करती है।

 

विभिन्न देवी-देवताओं की पूजा

शिलानाथ मंदिर में शिव के अलावा माता पार्वती, जानकी, राधे-कृष्णा और अन्य कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। यह मंदिर विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों और उनके पूजन स्थल के लिए प्रसिद्ध है। यहां एक यज्ञ कुंड भी है, जहां नियमित रूप से यज्ञ और अनुष्ठान किए जाते हैं। यह स्थल अपनी आध्यात्मिक ऊर्जा और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए जाना जाता है।

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यहां का वातावरण भक्तों को अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। शिव और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की सुंदरता और यहां की दिव्यता का अनुभव करने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। मंदिर के प्रांगण में स्थापित यज्ञ कुंड में नियमित रूप से यज्ञ और हवन होते हैं, जो यहां के वातावरण को और भी पवित्र और ऊर्जा से भरपूर बनाते हैं।

यात्रा और पर्यटन : शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर की यात्रा न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की यात्रा के लिए सबसे पहले आपको मधुबनी आना होगा, जो बिहार के अंतिम छोर पर स्थित है। मधुबनी से शिलानाथ मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।

मधुबनी से शिलानाथ मंदिर तक की यात्रा आपको बिहार के ग्रामीण जीवन और यहां की सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराती है। मधुबनी से शिलानाथ मंदिर तक का रास्ता अत्यंत सुंदर और मनोरम है, जो यात्रियों को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। इस मंदिर की यात्रा करते समय आपको यहां के स्थानीय लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा का अनुभव होगा।

 

मिथिलांचल की सांस्कृतिक धरोहर

शिलानाथ मंदिर मिथिलांचल की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर मिथिलांचल की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है। मिथिलांचल की कई पौराणिक कथाएं और लोककथाएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। इस मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर ने इसे स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है।

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मिथिलांचल की संस्कृति और परंपराएं यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा में प्रतिबिंबित होती हैं। शिलानाथ मंदिर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है। यहां के स्थानीय लोग और भक्त इस मंदिर को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।

मंदिर का महत्व : शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की धार्मिक और पौराणिक कथाएं इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह मंदिर न केवल शिव के भक्तों के लिए, बल्कि अन्य देवी-देवताओं के भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है।

 

धार्मिक महत्व : शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह मंदिर शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की धार्मिक और पौराणिक कथाएं इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। शिलानाथ मंदिर की धार्मिक आस्था और श्रद्धा ने इसे स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है। इस मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर बनाता है।

शिलानाथ मंदिर की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की यात्रा के लिए सबसे पहले आपको मधुबनी आना होगा, जो बिहार के अंतिम छोर पर स्थित है। मधुबनी से शिलानाथ मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।

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 सांस्कृतिक धरोहर

शिलानाथ मंदिर मिथिलांचल की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मंदिर मिथिलांचल की धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं को दर्शाता है। मिथिलांचल की कई पौराणिक कथाएं और लोककथाएं इस मंदिर से जुड़ी हुई हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। इस मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर ने इसे स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है।

मिथिलांचल की संस्कृति और परंपराएं यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा में प्रतिबिंबित होती हैं।  इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है। यहां के स्थानीय लोग और भक्त इस मंदिर को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।

 

धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा : शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर का धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह मंदिर शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की धार्मिक और पौराणिक कथाएं इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। शिलानाथ मंदिर की धार्मिक आस्था और श्रद्धा ने इसे स्थानीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना दिया है। इस मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर बनाता है।

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शिलानाथ मंदिर की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर की यात्रा के लिए सबसे पहले आपको मधुबनी आना होगा, जो बिहार के अंतिम छोर पर स्थित है। मधुबनी से शिलानाथ मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। यहां तक पहुंचने के लिए आप ट्रेन या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं।

सांस्कृतिक धरोहर

मिथिलांचल की संस्कृति और परंपराएं यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा में प्रतिबिंबित होती हैं। शिलानाथ मंदिर इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है, जो यहां के लोगों की धार्मिक आस्था और श्रद्धा को दर्शाता है। यहां के स्थानीय लोग और भक्त इस मंदिर को अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।

 

 

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व : शिलानाथ मंदिर

शिलानाथ मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। इस मंदिर की धार्मिक और पौराणिक कथाएं इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। यह मंदिर न केवल शिव के भक्तों के लिए, बल्कि अन्य देवी-देवताओं के भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थल है।

शिलानाथ मंदिर की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव है, जो भक्तों को धार्मिक और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर बनाता है। इस मंदिर की यात्रा करते समय आपको यहां के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव होगा, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है।

 

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