राधा अष्टमी
राधारानी महाराज मंदिर
मंदिर सेवायत प्रवीण गोस्वामी ने बताया कि इस बार भी राधारानी महाराज मंदिर में किशोरी जी का प्राकट्य उत्सव बड़ी ही धूम धाम और उत्साह के साथ मनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस बार राधा जी के प्राकट्य दिवस के लिए कई विशेष तैयारियां की गई है. जिसमें सबसे पहले उनके जन्म के लिए खास पोशाक तैयार की गई है. जो पीले रंग की है और उसमें हाथों से मोती, जरी, गोटे लगाये है जिसकी कीमत करीब एक लाख रुपये से भी अधिक है.
यह रहेगा जन्मोत्सव का कार्यक्रम
प्रवीण ने आगे बताया कि इस वर्ष राधारानी महाराज मंदिर में राधा जी का प्राकट्य उत्सव 23 सितंबर को प्रातः काल में मनाया जायेगा. सबसे पहले मंदिर में सुबह 2:30 बजे से बरसाना और नंदगांव से आये गोस्वामी समाज के लोग मंदिर परिसर में समाज और बधाई गायन करेंगे. जो जिसके बाद मंदिर में सुबह 4 बजे राधा रानी जी का प्रकट होगा और राधा जी का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा. इसके लिए 200 किलो दूध, 200 दही के साथ शहद, घी, बूरा, गुलाब जल समेत करीब 1008 किलो सामग्री का प्रयोग अभिषेक के लिए किया जायेगा जो की सुबह 5 बजे तक चलेगा.
आधे घंटे के लिए बंद होगा मंदिर
इसके बाद 5:30 मंदिर में राधारानी की मंगला आरती की जायेगी और 6 बजे मंदिर आधे घंटे के लिए बंद कर दिया जायेगा. जिसके बाद 6:30 बजे से 7:30 बजे तक शृंगार आरती के दर्शन होंगे. जिसके बाद थोड़ी देर के लिए मंदिर बंद किया जाएगा और उसके बाद 7:45 से लेकर 1:30 बजे तक मंदिर दर्शन के लिए खुले रहेंगे.
राधारानी के सफ़ेद छतरी में दर्शन
राधाष्टमी के दिन राधारानी के सफ़ेद छतरी दर्शन भी होते है. इस दिन राधा रानी का विग्रह मंदिर परिसर निकल कर मंदिर के आंगन में बनी सफ़ेद छतरी के नीचे विराजमान किया जाता है. जहां सभी भक्त उनके दर्शन करते है. यह दर्शन शाम को 4:30 मंदिर खुले के साथ ही होंगे. जहां राधारानी के विग्रह को मंदिर से बाहर निकाला जायेगा और यह दर्शन रात को 9:00 बजे यानी मंदिर बंद होने तक होंगे.
मध्य में स्थित बरसाना के विचित्र शहर
ब्रज के मध्य में स्थित बरसाना के विचित्र शहर में, भक्त उत्सुकता से श्रद्धेय लाडली मंदिर में राधा अष्टमी के भव्य उत्सव का इंतजार करते हैं। यह शुभ अवसर हिंदू माह भाद्रपद के शुक्ल पक्ष के आठवें दिन, भगवान कृष्ण की शाश्वत पत्नी राधा रानी के दिव्य स्वरूप की याद दिलाता है।उत्सव की तैयारियां कई सप्ताह पहले से ही शुरू हो जाती हैं, दूर-दूर से श्रद्धालु उत्सव में भाग लेने के लिए बरसाना में जुटते हैं। जीवंत फूलों और जटिल सजावट से सजा हुआ लाडली मंदिर, भक्ति और श्रद्धा की आभा बिखेरता है क्योंकि भक्त राधा रानी के सम्मान में प्रार्थना करते हैं और अनुष्ठान करते हैं।
मंदिर परिसर राधा रानी को समर्पित
राधा अष्टमी के दिन, मंदिर परिसर राधा रानी को समर्पित भजनों और भजनों के मधुर मंत्रों से गूंज उठता है। पारंपरिक पोशाक पहने भक्त औपचारिक अभिषेक देखने के लिए इकट्ठा होते हैं, जहां देवता को सुगंधित गुलाब जल, दूध और शहद से स्नान कराया जाता है, जो पवित्रता और भक्ति का प्रतीक है।जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, वातावरण हर्षोल्लास से भर जाता है क्योंकि भक्त राधा और कृष्ण के दिव्य प्रेम को दर्शाने वाले रंग-बिरंगे जुलूसों और सांस्कृतिक प्रदर्शनों में शामिल होते हैं। हवा धूप की मीठी सुगंध और भक्ति गीतों की ध्वनि से भर जाती है,
सद्भाव का माहौल
जिससे आध्यात्मिक आनंद और सद्भाव का माहौल बनता है।शाम को, एक भव्य आरती की जाती है, जिसमें मंदिर को टिमटिमाते दीपकों की गर्म चमक से रोशन किया जाता है और सभी की भलाई और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। भक्त राधा रानी को प्रसाद, पवित्र प्रसाद चढ़ाते हैं, अपने जीवन में खुशी और पूर्णता के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
भक्त राधा रानी को विदाई देते
जैसे-जैसे दिन करीब आता है, भक्त राधा रानी को विदाई देते हैं, यह जानते हुए कि उनकी दिव्य उपस्थिति उनके जीवन को प्रेम, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान का आशीर्वाद देती रहेगी। लाडली मंदिर में राधा अष्टमी सिर्फ एक उत्सव नहीं बल्कि एक गहरी पोषित परंपरा है जो दुनिया भर में राधा और कृष्ण के भक्तों के बीच भक्ति और एकता के बंधन को मजबूत करती है।
Buy Best Cosmetics Skin And Hair Care Products :- www.carecrush.in
Comments (2)