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19 साल बाद सावन शिवरात्रि : विशेष नक्षत्र में जानें इसका महत्व

19 साल बाद सावन शिवरात्रि

19 साल बाद सावन शिवरात्रि : जानें इसका महत्व

19 साल बाद सावन शिवरात्रि : इस साल की सावन शिवरात्रि बहुत खास है, क्योंकि 19 साल बाद यह विशेष नक्षत्र में आ रही है। यह दिन भगवान शिव के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है और इस अवसर पर भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। आइए जानें इस विशेष शिवरात्रि के महत्व और इसके बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां।

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सावन शिवरात्रि का महत्व : 19 साल बाद सावन शिवरात्रि

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने में शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस साल की सावन शिवरात्रि इसलिए खास है क्योंकि यह विशेष नक्षत्र में पड़ रही है, जो 19 साल बाद हो रहा है। इस नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

विशेष नक्षत्र का महत्व

इस साल की सावन शिवरात्रि मृगशिरा नक्षत्र में पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मृगशिरा नक्षत्र में भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। यह नक्षत्र भगवान शिव के आशीर्वाद और कृपा को प्राप्त करने का उत्तम समय माना जाता है। भक्त इस दिन विशेष अनुष्ठान और पूजा-पाठ करते हैं, जिससे उन्हें जीवन में सुख-समृद्धि और शांति मिलती है।

पूजा विधि : 19 साल बाद सावन शिवरात्रि

सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा विधि भी विशेष होती है। इस दिन सुबह-सवेरे स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, आंकड़ा, भांग और फूल चढ़ाएं। भगवान शिव की आरती करें और मंत्रों का जाप करें। इस दिन उपवास रखने का भी विशेष महत्व है।

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व्रत का महत्व

सावन शिवरात्रि के दिन उपवास रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। उपवास रखने से शरीर और मन की शुद्धि होती है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन केवल फलाहार करना चाहिए और भगवान शिव की आराधना में लीन रहना चाहिए। उपवास रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

कथा और महिमा : 19 साल बाद सावन शिवरात्रि

सावन शिवरात्रि की पौराणिक कथा भी बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था। इस दिन की महिमा का वर्णन पुराणों में भी मिलता है। भक्त इस दिन शिवपुराण का पाठ करते हैं और भगवान शिव की लीलाओं का स्मरण करते हैं। यह दिन भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने का होता है।

भक्तों की आस्था

सावन शिवरात्रि के दिन देशभर में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। लोग दूर-दूर से भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन कावड़ यात्रा भी होती है, जिसमें भक्त गंगाजल लेकर शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए लंबी यात्रा करते हैं। यह दिन भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आस्था से भरा होता है।

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विशेष उपाय

सावन शिवरात्रि के दिन कुछ विशेष उपाय करने से भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र और दान करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, शिवलिंग पर सफेद फूल और चंदन चढ़ाने से भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का जाप करने से भी जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

उपासना का महत्व

सावन शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से मन की शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन की गई उपासना से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन की सभी समस्याएं दूर होती हैं। यह दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने का सबसे उत्तम समय होता है।

निष्कर्ष : 19 साल बाद सावन शिवरात्रि

इस साल की सावन शिवरात्रि 19 साल बाद विशेष नक्षत्र में आ रही है, जो भगवान शिव के भक्तों के लिए अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। सावन शिवरात्रि का दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय है और इस दिन की गई उपासना से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है।

 

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