शनि प्रदोष व्रत 2024 : पूजा विधि और महत्व
शनि प्रदोष व्रत 2024 : सावन का महीना हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इस दौरान कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं। शनि प्रदोष व्रत भी इन्हीं प्रमुख व्रतों में से एक है। यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को किया जाता है, लेकिन सावन के महीने में इसका विशेष महत्व होता है। इस लेख में हम शनि प्रदोष व्रत की तारीख, पूजा विधि, और इसके महत्व के बारे में जानेंगे।
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क्या है : शनि प्रदोष व्रत 2024
शनि प्रदोष व्रत, हर माह की द्वादशी तिथि को शनि देव की पूजा के लिए रखा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से शनिवार को पड़ने वाली द्वादशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य शनि ग्रह के दोषों से मुक्ति और शनि देव की कृपा प्राप्त करना होता है। सावन के महीने में इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
व्रत की तारीखें
सावन के महीने में शनि प्रदोष व्रत की तारीख हर साल बदलती है, लेकिन 2024 में यह व्रत विशेष रूप से 24 अगस्त और 7 सितंबर को मनाया जाएगा। ये तिथियां सावन के महीने की द्वादशी तिथि को शनिवार को पड़ेंगी, जिससे व्रत का महत्व और भी बढ़ जाएगा।
महत्वपूर्ण तिथियां:
- 24 अगस्त 2024 : पहली शनि प्रदोष व्रत
- 7 सितंबर 2024 : दूसरी शनि प्रदोष व्रत
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पूजा विधि : शनि प्रदोष व्रत 2024
शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली होती है। इस व्रत में विशेष ध्यान रखा जाता है कि व्रति उपवास रखें और शनि देव की विधिपूर्वक पूजा करें। यहाँ पर शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि को सरल शब्दों में समझाया गया है:
- व्रत का संकल्प : पूजा के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प लें और पूरे दिन उपवास रखने का प्रण करें।
- शुद्धता और स्नान : पूजा से पहले अच्छे से स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।
- शनि देव का पूजन : एक साफ जगह पर शनि देव की प्रतिमा या तस्वीर रखें। उनके समक्ष दीपक जलाएं और विशेष पूजा सामग्री जैसे कि तेल, काले तिल, काले उड़द की दाल, और शहद रखें।
- मंत्र जप : शनि देव के मंत्रों का जप करें। सामान्यतः “ॐ शम शनैश्चराय नमः” मंत्र का उच्चारण किया जाता है।
- अर्चना और अर्पण : शनि देव को तेल, काले तिल और फूल अर्पित करें। ध्यान रखें कि पूजा के दौरान मन में किसी भी प्रकार की अशुद्धता न हो।
- भोग और प्रसाद : पूजा के बाद भगवान को भोग अर्पित करें और उसे प्रसाद के रूप में अपने परिवारजनों के साथ बांटें।
- दीन-दुखियों की सेवा : व्रत के दिन गरीबों या दीन-दुखियों को दान करें, विशेषकर काले तिल, तेल और खाने की सामग्री दें।
महत्व
शनि प्रदोष व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक है। यह व्रत न केवल शनि ग्रह के कष्टों से मुक्ति दिलाता है बल्कि शनि देव की विशेष कृपा भी प्राप्त करता है। इस व्रत के द्वारा शनि देव की आराधना से जीवन की कठिनाइयों और बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
- शांति और समृद्धि : इस व्रत को करने से घर में शांति और समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत व्रति की आर्थिक स्थिति को बेहतर करने में भी सहायक होता है।
- शनि दोष से मुक्ति : शनि प्रदोष व्रत करने से शनि ग्रह के दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान होता है।
- मन की शांति : इस व्रत को करने से मानसिक शांति मिलती है और तनाव कम होता है। यह व्रत करने से आत्म-समर्पण और अनुशासन की भावना भी बढ़ती है।
- पारिवारिक सुख : व्रति के परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है। व्रति और उनके परिवारजनों के बीच रिश्ते और मजबूत होते हैं।
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व्रत के दौरान क्या करें और क्या न करें : शनि प्रदोष व्रत 2024
व्रत के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है। ये उपाय व्रत को सही ढंग से पूरा करने में मदद करेंगे और इसके लाभों को अधिकतम करेंगे:
क्या करें:
- सच्ची श्रद्धा : पूजा के दौरान सच्ची श्रद्धा और भक्ति रखें।
- उपवास : व्रत के दिन पूरी तरह उपवास रखें और संयमित भोजन करें।
- शुद्धता : पूजा स्थल और स्वयं की शुद्धता का ध्यान रखें।
- दान-पुण्य : जरूरतमंदों को दान करें और समाज सेवा करें
क्या न करें:
- अशुद्धता : पूजा के दौरान अशुद्ध वस्त्र पहनने या अशुद्धता को टालें।
- झगड़े : व्रत के दौरान किसी भी प्रकार के झगड़े या विवाद से बचें।
- गुस्सा : गुस्सा और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहें।
निष्कर्ष
व्रत का पालन करना आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। यह व्रत शनि ग्रह के कष्टों से मुक्ति दिलाने और शांति, समृद्धि, और सुख-शांति लाने में सहायक होता है। सावन के महीने में यह व्रत विशेष महत्व रखता है और इसे विधिपूर्वक करना चाहिए। पूजा के दौरान शुद्धता, श्रद्धा, और भक्ति का ध्यान रखें और इस व्रत के लाभों को अनुभव करें।
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