शनि की साढ़े साती से संबंधित
शनि की साढ़े साती से संबंधित : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संकेत के अलावा कोई और शक्ति नहीं है जो हमारे जीवन को प्रभावित करती है। भारतीय ज्योतिष में एक महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इस ग्रह साढ़े साती या ढैय्या के दौरान व्यक्ति को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह अवधि आम तौर पर 7.5 वर्ष तक चलती है, जिसमें व्यक्तिगत को वर्ष और पोर्टफोलियो का सामना करना पड़ता है। नौपता के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना है, जो संकेत दिशा में एक बड़ा परिवर्तन लाती है।
नौपता का आरंभ
हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष ज्येष्ठ मास की शुरुआत होती है। इस वर्ष का आरंभ 25 मई को होगा, जब सूर्य उगलना आरंभ होगा। इसमें आयुष्य में विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है, जिसमें संतुलन और परिवर्तन शामिल हो सकते हैं। इस अवधि के दौरान, व्यक्ति को कई आध्यात्मिक और सामाजिक दुखों का सामना करना पड़ता है। इस समय को ‘नौतपा’ के नाम से जाना जाता है, जिसमें गर्मी की परेशानियों के कारण लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
नौपता के उपाय : शनि की साढ़े साती से संबंधित
नौपता के समय व्यक्ति को ध्यान में रखकर कुछ उपाय किए जाते हैं, जो उसे साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभावों से रक्षा करने में मदद कर सकते हैं। इन उपायों में शामिल हैं:
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1. काले चाटे का दान : शनि देव को प्रसन्न करने के लिए लोगों को काले चाटे का दान करना चाहिए। यह शनि महाराज गरीबों की सेवा में मदद करते हैं और उनके जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति कराते हैं।
2. चप्पल का दान : नपुंसकता के दौरान, गर्मी के कारण लोगों को आराम के लिए जूते की आवश्यकता होती है। शनि महाराज के उपासक के लिए जूते का दान करना भी अत्यंत शुभ होता है और उन्हें शनि के प्रति भक्ति और निष्ठा में वृद्धि होती है।
3. ग़रीबों के आई सेवा : धीरे-धीरे गरीबों की सेवा करनी चाहिए। इस उपाय को शनि महाराज द्वारा सर्वोत्तम माना जाता है और उनके गुणों की भावनाओं को पुनः प्राप्त किया जाता है।
4. विशेष पूजा- सार्जेंट : विशेष पूजा- साक्षात करने से भी शनि देव का आशीर्वाद मिलता है। यह प्रक्रिया उनकी क्रोधन शक्ति को शांति प्रदान करती है और जीवन में संतुलन लाती है।
5. दान और श्राद्ध : नौपता के दौरान दान और श्राद्ध करने से शनि देव की कृपा होती है। यह शनि के क्रोध को शांत करता है और जीवन में समृद्धि लाता है।
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नौपता का आखिरी दिन
आखिरी दिन, जो 2 जून को है, यह सबसे भारी घटना है। इस दिन को भीषण गर्मी होने के कारण नौतपा कहते हैं। इस दिन भगवान शनि की पूजा और अभिषेक करने से उनकी प्रार्थनाएँ होती हैं और व्यक्ति को संगीन पुरातत्व से मुक्ति मिलती है।
नौपता के फायदे : शनि की साढ़े साती से संबंधित
नौपता के दौरान किए गए उपायों से व्यक्ति को न केवल शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या को शांति प्राप्त होती है, बल्कि उन्हें आने वाले समय में सुख, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलती है। इन उपायों को ध्यान में रखते हुए नौपता के दौरान धार्मिकता और सेवा करने का अवसर मिलता है, जिससे समाज में सहानुभूति और समृद्धि का वातावरण बना रहता है।
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