रक्षाबंधन पर भद्रा काल समय
रक्षाबंधन पर भद्रा काल समय : हिन्दू धर्म में भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को सुरक्षा और प्रेम का वचन देते हैं। लेकिन, रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त जानना अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर भद्रा काल के समय से बचना चाहिए। इस लेख में हम भद्रा काल का महत्व, इसके समय और इस अवधि में राखी बांधने के परिणामों पर चर्चा करेंगे।
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भद्रा काल का महत्व :रक्षाबंधन पर भद्रा काल समय
भद्रा काल हिन्दू ज्योतिष में एक अशुभ समय माना जाता है। यह समय विशेष रूप से पूजा-पाठ, शुभ कार्य और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए निषेध माना जाता है। भद्रा का समय अलग-अलग तिथियों और मुहूर्तों के अनुसार बदलता रहता है। इसे अशुभ माना जाता है क्योंकि इस समय में किए गए कार्यों का परिणाम अक्सर अनुकूल नहीं होता। इसलिए, रक्षाबंधन जैसे महत्वपूर्ण पर्व पर भद्रा काल के समय से बचकर राखी बांधनी चाहिए।
रक्षाबंधन और भद्रा काल
रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त निर्धारित करते समय भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्रा काल में राखी बांधने से भाई-बहन के संबंधों में तनाव और विपरीत परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इसलिए, इस समय का ध्यान रखकर ही राखी बांधनी चाहिए। रक्षाबंधन का पर्व तभी पूर्ण माना जाता है जब राखी शुभ मुहूर्त में बांधी जाए।
भद्रा काल का समय
तिथि और ग्रहों की स्थिति के आधार पर बदलता रहता है। रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल के समय की जानकारी पंचांग या ज्योतिषी से प्राप्त की जा सकती है। इस साल रक्षाबंधन पर भद्रा काल का समय 10:00 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक है। इसलिए, इस समय के दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए और शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए।
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भद्रा काल में राखी बांधने के परिणाम
भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है और इसके विपरीत परिणाम हो सकते हैं। इस समय राखी बांधने से भाई-बहन के संबंधों में दरार आ सकती है, और उनके जीवन में समस्याएं आ सकती हैं। इसके अलावा, भद्रा काल में किए गए धार्मिक अनुष्ठानों का फल भी अनुकूल नहीं होता। इसलिए, भद्रा काल के समय से बचना अत्यंत आवश्यक है।
शुभ मुहूर्त का चयन
रक्षाबंधन पर राखी बांधने के लिए शुभ मुहूर्त का चयन करना महत्वपूर्ण है। शुभ मुहूर्त में राखी बांधने से भाई-बहन के संबंधों में प्रेम और समर्पण बढ़ता है और वे एक-दूसरे की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना करते हैं। शुभ मुहूर्त का चयन करने के लिए पंचांग या ज्योतिषी की सलाह लेनी चाहिए। इस साल, भद्रा काल के बाद शुभ मुहूर्त दोपहर 1:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक है।
विधि
रक्षाबंधन पर राखी बांधने की विधि का पालन करना महत्वपूर्ण है। राखी बांधने से पहले भाई-बहन को पूजा की थाली तैयार करनी चाहिए, जिसमें राखी, रोली, चावल, दीपक, मिठाई और नारियल हो। भाई को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठाना चाहिए। बहन को भाई की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए, तिलक लगाना चाहिए और मिठाई खिलानी चाहिए। भाई को बहन को आशीर्वाद देना चाहिए और उपहार देना चाहिए।
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धार्मिक महत्व
रक्षाबंधन का पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र संबंध को मजबूत बनाता है और उन्हें एक-दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना से भर देता है। रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है, जो समाज में भाई-बहन के रिश्ते को महत्वपूर्ण मानता है। इस दिन, भाई-बहन एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम और विश्वास को प्रकट करते हैं।
आधुनिक समय में रक्षाबंधन
आधुनिक समय में रक्षाबंधन का पर्व नए रूप और तरीके से मनाया जाता है। अब यह पर्व न केवल भारत में बल्कि विदेशों में रहने वाले भारतीय परिवारों के बीच भी मनाया जाता है। रक्षाबंधन के दिन सोशल मीडिया और वीडियो कॉल के माध्यम से भाई-बहन एक-दूसरे से जुड़ते हैं और अपने प्रेम और समर्पण को साझा करते हैं। इस तरह, रक्षाबंधन का पर्व आधुनिकता के साथ भी अपनी पारंपरिक महत्व को बनाए हुए है।
निष्कर्ष
रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पवित्र संबंध और प्रेम का प्रतीक है। इस पर्व पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त जानना और भद्रा काल से बचना अत्यंत आवश्यक है। भद्रा काल में राखी बांधने से अशुभ परिणाम हो सकते हैं, इसलिए शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए। रक्षाबंधन का पर्व भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो समाज में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। इस रक्षाबंधन पर, शुभ मुहूर्त में राखी बांधकर अपने भाई-बहन के प्रेम और समर्पण को प्रकट करें और भगवान से उनके सुख, समृद्धि और लंबी उम्र की कामना करें।
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