मोहिनी एकादशी का महत्व
तिथि और मुहूर्त
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला ने एकादशी तिथि आरंभ- 18 मई को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से शुरू होगा. एकादशी तिथि समाप्त- 19 मई को दोपहर 1 बजकर 50 मिनट पर होगी. तिथि-उदया, तिथि के हिसाब से मोहिनी एकादशी 19 मई को है. हरि वासर की समाप्ति का समय 19 मई को 8 बजकर 22 मिनट होगा.
इन मंत्रों से करें मोहिनी एकादशी की पूजा
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला ने कि इस एकादशी के दिन साधक को भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विधि-विधान से उनकी पूजा-आराधना करनी चाहिए. इस मौके पर ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से माला जाप करना भी उत्तम है.
इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला इस दिन भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम एवं विष्णुजी के मोहिनी स्वरूप का पूजन-अर्चन किया जाता है. पदम् पुराण के अनुसार त्रेता युग में महर्षि वशिष्ठ के कहने से भगवान राम ने इस व्रत को किया. ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत सब प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, सब पापों को हरने वाला व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है.
धुल जाएंगे पाप और आएगी समृद्धि
मोहिनी एकादशी को विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, जो समृद्धि और सुख की प्राप्ति के लिए जाना जाता है। यह व्रत 18 या 19 मई को रखा जाता है, जो एकादशी तिथि होती है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के अलग-अलग महीनों में आती है। मोहिनी एकादशी के व्रत का पालन करने से मान्यता है कि व्रती के पाप धुल जाते हैं और उन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही, समृद्धि, सुख, और आनंद की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान विष्णु की कृपा को आकर्षित करता है और उनकी कृपा से जीवन में सफलता और खुशियाँ लाता है।
पूजा विधि
मोहिनी एकादशी के दिन व्रती लोग नियमित रूप से उठकर स्नान करते हैं और फिर विष्णु की पूजा करते हैं। विष्णु जी को तुलसी के पत्ते, फल, फूल, और प्रसाद के रूप में अर्पित किया जाता है। व्रती लोग इस दिन उद्यापन के समय भगवान का आराधना करते हैं और उनकी भक्ति और आस्था में लगे रहते हैं। विष्णु भगवान की आरती करें. इस दिन गरीबों को भोजन करवाने का भी महत्व है.
धार्मिक महत्व
मोहिनी एकादशी का व्रत हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को निर्जला व्रत के साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसके माध्यम से भक्त ईश्वर की शरण में जाते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को धार्मिकता और सफलता की दिशा में ले जाते हैं।
सामाजिक महत्व
इस व्रत का पालन करने से सामाजिक एकता और धार्मिकता का महत्व समझा जाता है। लोग इस दिन धार्मिक कार्यों में लगे रहते हैं और अपने समाज में एक अच्छे नागरिक के रूप में योगदान करते हैं।
समापन
मोहिनी एकादशी का व्रत धर्म, समृद्धि, और सामाजिक सहयोग के माध्यम से व्यक्ति को एक उच्च स्तर की आध्यात्मिकता और सफलता की दिशा में ले जाता है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन को परम पुरुषार्थ की ओर प्रेरित करता है।
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