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देवघर में सूर्य भगवान : नौतपा में बस कर लें ये काम, प्रसन्न हो जाएंगे सूर्य भगवान,रोग-दोष से मुक्ति

देवघर में सूर्य भगवान

देवघर में सूर्य भगवान : रोग-दोष से मुक्ति

देवघर में सूर्य भगवान : देवघर एक ऐसा स्थान है जो अपनी धार्मिकता और ज्योतिषीय मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है। सूर्य समय-समय पर अपनी राशि और नक्षत्र का परिवर्तन करते रहते हैं, जिससे उनकी स्थिति और प्रभाव में बदलाव आता है। विशेष रूप से, 25 मई को सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने वाले हैं और 8 जून तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस अवधि के दौरान गर्मी चरम पर रहती है। इसे ही नौतपा कहा जाता है, जिसका भारतीय संस्कृति और ज्योतिष में विशेष महत्व है।

नौतपा का महत्व और परंपराएं

नौतपा, जो नौ दिनों की अवधि होती है, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होते हैं, यह समय अत्यधिक गर्मी के लिए जाना जाता है। इस अवधि में सूर्य की तपिश सबसे ज्यादा होती है। यह समय न केवल गर्मी के कारण विशेष होता है, बल्कि इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं भी जुड़ी होती हैं। इस दौरान किए गए दान-पुण्य और पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। नौतपा के दौरान महिलाएं मेहंदी लगाती हैं, जो शुभ मानी जाती है। इसके साथ ही, विभिन्न प्रकार के दान करना भी इस समय महत्वपूर्ण होता है।

 

देवघर के ज्योतिषाचार्य की राय : देवघर में सूर्य भगवान

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि जैसे ही 25 मई को भगवान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, नौतपा की शुरुआत हो जाएगी। इस समय के दौरान लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषाचार्य ने यह भी बताया कि नौतपा के शुरुआती छह दिन बहुत ज्यादा गर्मी होती है, जबकि आखिरी तीन दिन आंधी, तूफान और बारिश के लिए जाने जाते हैं। यह माना जाता है कि नौतपा में जितनी ज्यादा गर्मी होगी, मानसून में उतनी ही अच्छी बारिश होने वाली है। इस समय के दौरान भगवान सूर्य की आराधना करने से अनजाने में किए गए पाप भी कट जाते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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नौतपा में मेहंदी का महत्व

ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल का मानना है कि नौतपा के दौरान महिलाओं को मेहंदी अवश्य लगानी चाहिए। इस समय सूर्य की तपिश अपने चरम पर होती है, और मेहंदी लगाने से सूर्य दोष की समाप्ति होती है। मेहंदी न केवल एक सौंदर्य उत्पाद है, बल्कि इसे लगाने से हाथ-पैरों में शीतलता प्रदान होती है, जिससे गर्मी से राहत मिलती है। मेहंदी का हरा रंग ठंडक प्रदान करता है और यह धार्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मेहंदी लगाने की परंपरा को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी समर्थन मिलता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का वास होता है।

 

नौतपा के दौरान दान का महत्व

नौतपा के दिनों में दान करने का भी विशेष महत्व है। इस समय किए गए दान-पुण्य से जीवन में सकारात्मकता आती है और व्यक्ति के पाप कट जाते हैं। नौतपा के दौरान विभिन्न प्रकार के दान करना शुभ माना जाता है, जैसे कि जरूरतमंदों को छाता, चप्पल, घड़ा आदि का दान। इसके साथ ही दूध, दही, मक्खन, नारियल आदि का दान भी शुभ होता है। ऐसा करने से जातक के जीवन में अनजाने में हुए पाप कट जाते हैं और भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है। दान करने से न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से लाभ होता है, बल्कि यह सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे समाज के जरूरतमंद लोगों की सहायता होती है।

सूर्य की आराधना का महत्व : देवघर में सूर्य भगवान

नौतपा के दिनों में सूर्य की आराधना विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल के अनुसार, नौतपा के दौरान हर रोज सुबह उठकर नदी में स्नान कर भगवान सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। इसके साथ ही, भगवान सूर्य के बीज मंत्रों का जाप भी करना चाहिए। इससे व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है और सभी प्रकार के रोग-दोष समाप्त हो जाते हैं। सूर्य की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है और व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का वास होता है।

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नित्यकर्म और आस्था का महत्व

नौतपा के दौरान नित्यकर्म के रूप में सूर्य भगवान की आराधना और दान-पुण्य करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। इन नौ दिनों में सूर्य की विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं। नौतपा के दौरान सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और उसे सफलता प्राप्त होती है। इसके साथ ही, धार्मिक कार्यों में भाग लेने से समाज में एक सकारात्मक संदेश भी जाता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

 

धार्मिक और वैज्ञानिक पहलू

धार्मिक महत्व के साथ-साथ इसके वैज्ञानिक पहलू भी हैं। गर्मियों के इस समय में सूर्य की तपिश अपने चरम पर होती है, जिससे वातावरण में तापमान बढ़ जाता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो इस समय के दौरान वातावरण में होने वाले बदलावों का प्रभाव मानसून पर भी पड़ता है। जितनी अधिक गर्मी होती है, मानसून में उतनी ही अच्छी बारिश होती है। इस प्रकार, नौतपा का समय न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।

अपनाई जाने वाली परंपराएं

नौतपा के दौरान विभिन्न प्रकार की परंपराएं और रीति-रिवाज अपनाए जाते हैं। इन नौ दिनों में लोग सूर्य भगवान की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। महिलाएं मेहंदी लगाती हैं और घर में शीतलता बनाए रखने के लिए ठंडी चीजों का उपयोग करती हैं। इसके साथ ही, दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। लोग जरूरतमंदों को दान करते हैं और धार्मिक कार्यों में भाग लेते हैं। इस समय के दौरान किए गए कार्यों का व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है।

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धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण : देवघर में सूर्य भगवान

नौतपा का समय धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस समय किए गए धार्मिक कार्यों का व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दान-पुण्य करने से समाज में एक सकारात्मक संदेश जाता है और व्यक्ति को धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से लाभ होता है। इसके साथ ही, नौतपा के दौरान अपनाई जाने वाली परंपराएं और रीति-रिवाज भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाते हैं।

 

 निष्कर्ष : देवघर में सूर्य भगवान

नौतपा का समय भारतीय ज्योतिष और धार्मिक मान्यताओं में विशेष महत्व रखता है। इस दौरान की जाने वाली पूजा-अर्चना, दान-पुण्य और अन्य धार्मिक कार्यों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नौतपा के दौरान सूर्य भगवान की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है और रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। इस समय के दौरान अपनाई जाने वाली परंपराएं और रीति-रिवाज भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं, जो हमें हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर की याद दिलाते हैं। नौतपा के दौरान किए गए धार्मिक और सामाजिक कार्यों से न केवल व्यक्ति को लाभ होता है, बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश जाता है।

 

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