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तेरह मंजिला मंदिर:अद्वितीय स्थल ,यहां विराजमान हैं सभी देवी-देवता

तेरह मंजिला मंदिर

तेरह मंजिला मंदिर

तेरह मंजिला मंदिर: उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश योग नगरी के नाम से प्रसिद्ध है. यहां जितने ध्यान और योग के केंद्र उतने ही प्राचीन मंदिर और सुंदर पर्यटक स्थल. जिसके लिए हर साल हजारों की संख्या में लोग ऋषिकेश पहुंचते हैं. वैसे तो अपने आप में हर मंदिर खास होता है, लेकिन ऋषिकेश के त्र्यंबकेश्वर की बात ही अलग है.

ऋषिकेश का प्रसिद्ध मंदिर

इस मंदिर के पुजारी धर्मानंद उनियाल ने बताया कि ये मंदिर ऋषिकेश के प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के पार स्थित है. श्री श्री 108 भ्रमभीम स्वामी कैलाशानंद ने इस मंदिर की स्थापना की थी. वे भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे और उनकी आराधना किया करते थे. उनके द्वारा इस 13 मंजिल मंदिर का निर्माण किया गया. क्योंकि ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, इसीलिए इसे उन्हीं के एक नाम त्र्यंबकेश्वर के नाम से जाना जाता है. ऋषिकेश में स्थित यह मंदिर 13 मंजिल मंदिर के नाम से भी लोगों के बीच प्रसिद्ध है.

आकर्षण का केंद्र है ये मंदिर

पुजारी धर्मानंद ने बताया कि ऋषिकेश के इस मंदिर की बनावट पिरामिड की तरह है. जोकि पूरे 13 मंजिल का मंदिर है. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, वैसे तो भगवान शिव को कई नामों से जाना जाता है, जिनमें से एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है. इसीलिए ये मंदिर त्रियंबकेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है. गंगा के तट पर स्थित यह मंदिर भक्तगणों के बीच एक मुख्य आकर्षण का केंद्र है. ऋषिकेश आए पर्यटक इस मंदिर के दर्शन करना नहीं भूलते. वैसे तो ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. लेकिन यहां आपको लगभग सभी देवी देवताओं के दर्शन हो जाएंगे. इसके साथ ही इस मंदिर की सबसे ऊपर की मंजिल यानी 13 वी मंजिल पर आप काफी सुकून महसूस करेगें.

प्राचीन विरासत आकर्षण का केंद्र

यहां आपको मिलेगा एक अद्वितीय स्थल, जो बेहद अनोखा है। यह तेरह मंजिला मंदिर, जो एक पिरामिड की तरह बना है। इसकी श्रेणीयता में कोई सर्वोच्चता नहीं है, क्योंकि यहां विराजमान हैं सभी देवी-देवता।यह मंदिर प्राचीन विरासत का प्रतीक है। इसका निर्माण करीब 500 वर्ष पहले हुआ था, और उस समय से यह एक अत्यधिक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन गया है। इसकी विशेषता में विश्वास है कि यहां आपको सभी देवी-देवताओं के प्रतिमाएं मिलेंगी।यहां की शानदार प्राचीन वास्तुकला और सुंदरता का कोई मुकाबला नहीं है। एक बार यहां आने पर आपको उसकी अद्वितीयता में खो जाने का अनुभव होगा।

साम्राज्यिक धारा भविष्य का निर्माण

इस मंदिर की तीर्थयात्रा एक साम्राज्यिक धारा का हिस्सा है। हजारों श्रद्धालु यहां प्रतिवर्ष आते हैं और अपनी भक्ति व्यक्त करते हैं।यहां धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। लोग यहां आकर मन की शांति और आत्मा की शुद्धि के लिए आते हैं।यहां की अद्वितीय ऊर्जा और शांति ने इसे एक स्थायी धार्मिक केंद्र बना दिया है। इसका निर्माण भविष्य में भी इसे एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखेगा।

अद्वितीय स्थलतेरह मंजिला मंदिर देवी-देवताओं का आवास

बेहद अनोखा है यह तेरह मंजिला मंदिर, जो एक पिरामिड की तरह ऊंचाई पर टिकी है। इसकी शिखर ऊपर की ओर बाहर निकले हुए हैं, जैसे अंतरिक्ष की ओर एक आशा करते हुए।यहां विराजमान हैं सभी देवी-देवता, जिनके प्रतिमाएं और मूर्तियाँ इस मंदिर के विभिन्न मंचों पर स्थित हैं। हर मंच पर एक अलग देवी या देवता की पूजा के लिए स्थान है, जो इस स्थल को और भी प्राचीन बनाता है।

धार्मिकता का प्रतीक सांस्कृतिक विरासत प्रेरणास्त्रोत

इस मंदिर का वास्तुकला और रचना धार्मिकता के प्रतीक के रूप में साकार करता है। यह एक ऐसा स्थल है जहां धर्म, आध्यात्मिकता, और श्रद्धा के संगम को दर्शाता है।इस मंदिर की अनोखी विनियामकता और सुंदरता सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यहां की विशेष विनियामकता और संरचना ने इसे एक अनूठा स्थल बना दिया है।इस मंदिर की उच्चता और अद्वितीय रचना लोगों में श्रद्धा और प्रेरणा का स्रोत बनती है। यहां का दर्शन करने वाले लोग अपने आत्मा को प्रेरित महसूस करते हैं।

समर्थन और सम्मान

यह मंदिर धार्मिक समर्थन और सम्मान का प्रतीक है, जो समाज को एक साथ लाता है और सांस्कृतिक एकता को बढ़ाता है। इसकी ऊंचाई न केवल आकर्षक है, बल्कि यह एक समृद्ध समाज की भविष्यवाणी करती है।

 

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