ज्येष्ठ अमावस्या
ज्येष्ठ अमावस्या : वैज्ञानिक का दिन वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन के अनुसार बनाए गए उपायों को समय पर साढ़े साती और ढैय्या के अवशेषों से मुक्ति मिलती है। ज्येष्ठ वनस्पति का दिन शनिदेव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है क्योंकि उस दिन शनि जयंती मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ज्येष्ठ नक्षत्र की तिथि में सूर्य पुत्र शनि देव का जन्म हुआ था। वे न्याय के देवता हैं और उनकी पूजा से व्यक्ति को न्याय, सम्मान और उत्तम जीवन प्राप्त होता है।
इस दिन शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है
इस वर्ष, ज्येष्ठ भाग्य 5 जून को 07:54 बजे से प्रारंभ होगी और 6 जून को 06:07 बजे तक रहेगी। इस दिन शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाता है और लोग उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। शनि की टेढ़ी दृष्टि से प्रभावित होने वाले लोगों को इस दिन कुछ विशेष उपाय करने चाहिए। ऐसे ही कुछ लोग होते हैं जिनमें साढ़े साती या ढैय्या का सामना करना पड़ता है, जिनके लिए यह दिन और उनके द्वारा दिए गए उपाय विशेष महत्वपूर्ण होते हैं।
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शनि की टेढ़ी नजर : ज्येष्ठ अमावस्या
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 12 जहाजों में से 5 जहाजों पर शनि की टेढ़ी नजर का सामना करना पड़ता है। ये राशियाँ हैं – कर्क, वृश्चिक, मकर, कुंभ, और मीन। इन जातकों को शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय करने चाहिए।
यहां कुछ उपाय बताए जा रहे हैं जिन्हें मिलाकर आप ज्येष्ठ सब्जी अपना सकते हैं:
1. पूजा और दान : ज्येष्ठ रत्न के दिन आप शनिदेव के मंदिर में पूजा पाठ करें। एक पुराने में तेल का तेल शामिल है अपनी छवि देखें, फिर उस तेल को किसी भी गरीब को दान करें। इससे साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव को दूर किया जा सकता है।
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2. हनुमान जी की पूजा : ज्येष्ठ सब्जी पर हनुमान जी की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। हनुमान जी शनि के प्रिय
और उनकी पूजा से शनि की टेढ़ी नजर से बचा जा सकता है।
3. व्रत और दान : ज्येष्ठ अनाज पर व्रत रखने के साथ-साथ गरीबों को आवश्यक वस्तुएं देने का भी प्रयास करें। इससे आपकी दु:खों की निवृत्ति हो सकती है और आपको साढ़े साती और ढैय्या के प्रभाव से मुक्ति मिल सकती है।
कई लोग शमी के पेड़ की पूजा भी करते हैं : ज्येष्ठ अमावस्या
ज्येष्ठ रत्न के दिन कई लोग शमी के पेड़ की पूजा भी करते हैं। इस पेड़ की पूजा से भी शनि की कृपा मिलती है। इस दिन शनि की पूजा करने और उनकी कृपा करने से उत्तम समय मिलता है। इस दिन का महत्व समझकर अपने जीवन में शनि की कमी को दूर करने वाले लोगों के लिए उपाय करें। ये न केवल उनके धार्मिक अनुष्ठानों को मजबूत करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के सार्थक उपाय भी बनाते हैं।
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