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गंगा दशहरा 2024 : तिथि, मुहूर्त और महत्व , जानें स्नान-दान का समय

गंगा दशहरा 2024

गंगा दशहरा 2024 : जानें स्नान-दान का समय

गंगा दशहरा 2024 : गंगा दशहरा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे माँ गंगा के धरती पर अवतरण के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पर्व का हर वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ पालन किया जाता है। गंगा दशहरा का महत्व धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से अत्यधिक है। इस वर्ष, गंगा दशहरा 18 जून 2024 को मनाया जाएगा। इस लेख में हम इस पर्व के तिथि, मुहूर्त, शुभ योग, धार्मिक महत्व, इतिहास, उत्सव, रीति-रिवाज, पर्यावरणीय महत्व और इसके सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

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तिथि और मुहूर्त : गंगा दशहरा 2024

गंगा दशहरा का पर्व इस वर्ष 18 जून 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन का आरंभ 17 जून को दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से होगा और यह 18 जून को शाम 3 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगा। इस अवधि में गंगा दशहरा का व्रत, स्नान, दान और पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन, विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गंगा नदी में स्नान करने से सभी पाप धुल जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

 

शुभ योग और स्नान का समय

गंगा दशहरा के दिन कई शुभ योग बनते हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस दिन पुष्य नक्षत्र और आयुष्मान योग का संयोग हो रहा है, जो अत्यंत शुभ माना जाता है। इन शुभ योगों के कारण इस दिन गंगा स्नान का महत्व और भी बढ़ जाता है। स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 4:12 बजे से शुरू होकर दोपहर 12:24 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान गंगा नदी में स्नान करना अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है। इसके अलावा, इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है।

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दशहरा का धार्मिक महत्व : गंगा दशहरा 2024

गंगा दशहरा का धार्मिक महत्व अत्यधिक है। मान्यता है कि इस दिन माँ गंगा धरती पर अवतरित हुई थीं और उनके पवित्र जल से सभी पाप धुल जाते हैं। गंगा नदी को पवित्र और जीवनदायिनी माना जाता है। इस दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है, क्योंकि ये दोनों देवता गंगा नदी के साथ जुड़े हुए हैं।

दान और पुण्य का महत्व

गंगा दशहरा के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। इस दिन वस्त्र, अन्न, जल, और सोना दान करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। गंगा नदी के किनारे दीपदान करने से भी अत्यधिक पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन विशेष रूप से गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद करना अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन दान करने से दस गुना फल प्राप्त होता है। इसलिए भक्तजन इस दिन बढ़-चढ़कर दान-पुण्य करते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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ऐतिहासिक और पौराणिक संदर्भ : गंगा दशहरा 2024

दशहरा का पर्व ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। पुराणों के अनुसार, राजा भागीरथ की तपस्या के फलस्वरूप माँ गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं। उन्होंने अपने पवित्र जल से राजा सगर के 60,000 पुत्रों के पापों का नाश किया था। इस घटना के कारण गंगा दशहरा का पर्व अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन का ऐतिहासिक संदर्भ हमें यह बताता है कि किस प्रकार राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए माँ गंगा को धरती पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी।

उत्सव और रीति-रिवाज

गंगा दशहरा का पर्व विशेष उत्सव और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। इस दिन गंगा नदी के तट पर विशेष आरती और पूजा का आयोजन किया जाता है। भक्तजन गंगा नदी में स्नान कर माँ गंगा की आराधना करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन गंगा जल का विशेष महत्व होता है और इसे घर में लाकर पूजा स्थल पर रखा जाता है। गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा तट पर मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। इस मेले में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

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गंगा दशहरा का पर्यावरणीय महत्व : गंगा दशहरा 2024

धार्मिक ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा नदी की सफाई और संरक्षण का कार्य भी किया जाता है। गंगा नदी के जल को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए विभिन्न संगठनों और भक्तों द्वारा सफाई अभियान चलाए जाते हैं। यह पर्व हमें प्रकृति और नदियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का भी एहसास कराता है। गंगा दशहरा के दिन लोग न केवल गंगा नदी में स्नान करते हैं, बल्कि उसे साफ रखने का भी संकल्प लेते हैं। इससे पर्यावरण की सुरक्षा और संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिलता है।

 

सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू

गंगा दशहरा का पर्व सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन गंगा नदी के किनारे मेलों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। लोग इस दिन पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे नजर आते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। गंगा दशहरा का पर्व हमें भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति गर्व का अनुभव कराता है। इस दिन लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गीत, नृत्य और नाटकों का आयोजन किया जाता है, जो इस पर्व की रौनक को और भी बढ़ा देते हैं।

स्वास्थ्य और आध्यात्मिक लाभ : गंगा दशहरा 2024

गंगा दशहरा का पर्व स्वास्थ्य और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। गंगा नदी में स्नान करने से न केवल धार्मिक लाभ प्राप्त होते हैं, बल्कि इससे स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। गंगा जल में कई औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होते हैं। इसके अलावा, इस दिन ध्यान और योग करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है। गंगा दशहरा के दिन विशेष रूप से ध्यान और प्रार्थना का आयोजन किया जाता है, जिससे व्यक्ति की आत्मा को शांति और सुकून मिलता है।

 

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