शालिग्राम पूजा विधि : नियम जान लें नियम गलती पर लक्ष्मी होंगी रुष्ट
शालिग्राम पूजा विधि : शालिग्राम शिला को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह भगवान विष्णु का प्रतिरूप है और इसे घर में रखने से सुख-समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। शालिग्राम पूजा की विधि और इससे जुड़े नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण होता है ताकि भगवान लक्ष्मी और विष्णु की कृपा बनी रहे। इस लेख में, हम शालिग्राम की स्थापना, पूजा विधि, आवश्यक सामग्री, और पूजा के लाभों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
स्थापना : शालिग्राम पूजा विधि
शालिग्राम की स्थापना के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करना चाहिए। इसे घर के पूजा स्थल या मंदिर में स्थापित करना चाहिए। स्थापना के समय शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक है। शालिग्राम को गंगा जल या पवित्र जल से स्नान कराना चाहिए और इसके बाद इसे स्वच्छ कपड़े से पोंछना चाहिए। शालिग्राम की स्थापना के समय निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखें:
स्थापना के स्थान का चयन
शालिग्राम को घर के पूजा स्थल या मंदिर में रखा जाना चाहिए। यह स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए। शालिग्राम को किसी ऐसी जगह पर न रखें जहां गंदगी या अशुद्धि हो। पूजा स्थल को नियमित रूप से साफ करना आवश्यक है।
शुभ मुहूर्त का चयन
शालिग्राम की स्थापना के लिए एक शुभ मुहूर्त का चयन करें। इसके लिए आप पंचांग की सहायता ले सकते हैं या किसी विद्वान ब्राह्मण से परामर्श कर सकते हैं। शुभ मुहूर्त में शालिग्राम की स्थापना करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
शुद्धता का ध्यान : शालिग्राम पूजा विधि
शालिग्राम की स्थापना के समय और पूजा के दौरान शुद्धता का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। शालिग्राम को गंगा जल या पवित्र जल से स्नान कराएं और स्वच्छ कपड़े से पोंछें। पूजा स्थल को भी शुद्ध और स्वच्छ रखें।
पूजा की सामग्री
शालिग्राम की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
1. चंदन : शालिग्राम पर तिलक लगाने के लिए।
2. पुष्प : शालिग्राम को अर्पित करने के लिए।
3. तुलसीदल : तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु को अति प्रिय होते हैं।
4. धूप : पूजा के समय धूप जलाने के लिए।
5. दीपक : आरती करने के लिए।
6. नैवेद्य : भगवान को भोग लगाने के लिए।
7. गंगाजल : शालिग्राम को स्नान कराने के लिए।
8. पंचामृत : शालिग्राम को स्नान कराने के लिए।
इन सभी सामग्रियों को शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर रखना चाहिए। पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्रों का उच्चारण करना शुभ होता है।
पूजा विधि
शालिग्राम की पूजा की विधि सरल है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और विधिपूर्वक करना चाहिए। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
शालिग्राम का स्नान
सबसे पहले शालिग्राम को गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं और पुनः गंगा जल से धोकर स्वच्छ कपड़े से पोंछें। यह प्रक्रिया शालिग्राम की पवित्रता और शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
तिलक और पुष्प अर्पण
शालिग्राम पर चंदन का तिलक लगाएं और पुष्प अर्पित करें। शालिग्राम पर तुलसीदल चढ़ाएं क्योंकि तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। शालिग्राम की पूजा के समय भगवान विष्णु के मंत्रों का उच्चारण करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
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धूप-दीप और नैवेद्य
शालिग्राम की पूजा में धूप-दीप का विशेष महत्व होता है। धूप जलाकर शालिग्राम के समक्ष रखें और दीपक जलाकर आरती करें। नैवेद्य के रूप में फल, मिष्ठान्न, और अन्य शुद्ध भोजन अर्पित करें। नैवेद्य अर्पित करने के बाद भगवान विष्णु के मंत्रों का उच्चारण करें और उनकी आरती गाएं।
आरती और मंत्र
शालिग्राम की आरती के समय भगवान विष्णु की स्तुतियों और मंत्रों का उच्चारण करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और मन की शांति मिलती है। आरती के बाद शालिग्राम के समक्ष धूप और दीपक घुमाएं और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
यदि शालिग्राम उपहार में मिले : शालिग्राम पूजा विधि
यदि किसी ने आपको शालिग्राम उपहार में दिया है, तो इसे घर लाने के बाद विधिपूर्वक इसकी स्थापना करें और पूजा करें। उपहार में प्राप्त शालिग्राम को भी उसी तरह से पूजा जाना चाहिए जैसे स्वयं खरीदे गए शालिग्राम को। उपहार में प्राप्त शालिग्राम की स्थापना और पूजा से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
उपहार में प्राप्त शालिग्राम की स्थापना
उपहार में प्राप्त शालिग्राम को घर लाने के बाद उसे गंगा जल से स्नान कराएं और विधिपूर्वक पूजा स्थल पर स्थापित करें। शालिग्राम की स्थापना के समय शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
पूजा विधि : शालिग्राम पूजा विधि
उपहार में प्राप्त शालिग्राम की पूजा की विधि भी सामान्य शालिग्राम पूजा की तरह ही होती है। शालिग्राम को स्नान कराएं, तिलक लगाएं, पुष्प और तुलसीदल अर्पित करें, और धूप-दीप जलाकर आरती करें। नैवेद्य अर्पित करें और भगवान विष्णु के मंत्रों का उच्चारण करें।
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शालिग्राम पूजा में सावधानियां
शालिग्राम की पूजा करते समय कुछ सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है। शालिग्राम को कभी भी अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए। पूजा के समय शुद्धता का ध्यान रखें और मन को पवित्र रखें। शालिग्राम को नियमित रूप से स्नान कराना और पूजा करना आवश्यक होता है।
अशुद्धता से बचाव
शालिग्राम को कभी भी गंदे या अशुद्ध हाथों से नहीं छूना चाहिए। पूजा स्थल और सामग्री को भी शुद्ध और स्वच्छ रखें। पूजा के समय स्वयं भी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
नियमित पूजा
शालिग्राम की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। शालिग्राम को नियमित रूप से स्नान कराएं और विधिपूर्वक पूजा करें।
लक्ष्मीजी की नाराजगी : शालिग्राम पूजा विधि
शालिग्राम की पूजा में लापरवाही करने से देवी लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं। यदि पूजा में कोई त्रुटि हो जाए तो तुरंत क्षमा याचना करें और विधिपूर्वक पूजा करें। पूजा के समय ध्यान रखें कि शालिग्राम पर कभी भी अशुद्ध जल या अन्य अशुद्ध वस्त्र न चढ़ाएं।
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पूजा में लापरवाही से बचें
शालिग्राम की पूजा में लापरवाही नहीं करनी चाहिए। यदि किसी कारणवश पूजा में कोई त्रुटि हो जाए तो तुरंत भगवान से क्षमा याचना करें और पूजा को विधिपूर्वक संपन्न करें। इससे देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
क्षमा याचना
पूजा में त्रुटि होने पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी से क्षमा याचना करें। इसके लिए विष्णु मंत्रों का उच्चारण करें और श्रद्धापूर्वक पूजा करें। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और मन की शांति मिलती है।
पूजा के लाभ : शालिग्राम पूजा विधि
शालिग्राम की विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है और परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। शालिग्राम की पूजा से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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सुख-शांति और समृद्धि
शालिग्राम की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा से जीवन में आने वाली सभी समस्याओं का समाधान होता है और परिवार के सभी सदस्य सुखी रहते हैं।
पापों का नाश
शालिग्राम की विधिपूर्वक पूजा करने से पापों का नाश होता है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में पवित्रता और शुद्धता आती है। शालिग्राम की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जन्म-जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलती है।
निष्कर्ष : शालिग्राम पूजा विधि
शालिग्राम की पूजा हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखती है। इसके विधिपूर्वक पूजन से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है। शालिग्राम की स्थापना और पूजा में विधि-विधान और नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके। शालिग्राम की पूजा में शुद्धता और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। इससे भगवान की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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