कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास: राजस्थान व गुजरात में मुगल आक्रांताओं ने अपनी सेना से कई मंदिरों को लूटा. लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है, जिसे लूटने में असफल होने पर मुगल आक्रांता को मंदिर में माफी मांगकर मंदिर का निर्माण करवाना पड़ा. अचलेश्वर महादेव मंदिर के पास ही बने अचलगढ़ के कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास मुगल काल का है. यहां मुगल ने अचलेश्वर महादेव मंदिर पर हमला कर लूटने का प्रयास किया. उसकी सेना को यहां कुछ नहीं मिला. सेना ने यहां की कई प्राचीन प्रतिमाओं को खंडित कर दिया, जिसके निशान आज भी यहां प्रतिमाओं पर दिखाई देते हैं.
नंदी पर हमला करने का दिया आदेश
मंदिर में कोई कीमती जेवरात नहीं मिलने पर लौटते समय मंदिर के बाहर सोने जैसा चमकता पंचधातु से निर्मित नंदी दिखाई दिया. महमूद बेगड़ा को लगा कि इस नंदी के नीचे ही हीरे जवाहरात छुपाकर रखे हुए हैं और सेना को नंदी पर हमला करने का आदेश दिया. जैसे ही सेना ने नंदी के बाएं पैर पर हमला किया, नंदी के अंदर से लाखों की संख्या में मधुमक्खियों ने निकलकर सेना पर हमला कर दिया.
मुगल आक्रांता को मंदिर:कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
इस हमले में सेना तो वहां से भाग गई, लेकिन मुगल आक्रांता को मंदिर में आकर भगवान से माफी मांगनी पड़ी. जिसके बाद माफी स्वरूप यहां मंदिर के पास ही एक कोटेश्वर महादेव मंदिर बनवाया गया. इसमें आगे का द्वार तो मुस्लिम धार्मिक स्थल की निर्माण शैली जैसा है, लेकिन अंदर गर्भगृह का द्वार हिंदू धर्म के मंदिरों जैसा है. मंदिर के अंदर शिवलिंग आधा दीवार के अंदर व आधा बाहर है. मंदिर में हिंदू व मुस्लिम धर्म के लोग दर्शन करने आते हैं.
हथियारों से बनाया गया त्रिशूल
मधुमक्खियों ने किया हमला: आतंक की कहानी
नंदी पर चला हथियार, यह वाक्य सुनते ही एक अत्यंत रोमांचक कहानी का संघर्ष का संदेश देता है। एक समय की बात है जब एक छोटे से गाँव में नंदी के मंदिर के आस-पास एक महत्वपूर्ण संघर्ष हुआ। मधुमक्खियों का हमला एक अजीबोगरीब घटना थी। इस छोटे से गाँव में बड़ी ही आतंकवादी हमले की घटना के रूप में सामने आई। उनकी नजरें मंदिर के प्राचीन ध्वज स्तंभों पर थीं, जिन पर मधुमक्खियों ने अपनी अद्भुत नेतृत्व दिखाया।
मुगल सेना को मांगनी पड़ी माफी: एक सजीव इतिहास की कुछ पन्ने
मुगल सेना को भी इस हमले के बारे में सूचना मिली। उन्होंने संघर्ष के पीछे छिपे रहस्य को समझने के लिए अपनी जांच शुरू की। इस संघर्ष के तहत जो सत्यानाशी अद्भुत घटनाएं सामने आईं, उन्हें समझना मुगल सेना के लिए एक बड़ा सबक साबित हुआ।
क्या है मंदिर का इतिहास: अत्यंत प्राचीन एवं महत्वपूर्ण
इस संघर्ष के दौरान मंदिर का इतिहास भी समकालीनता से प्रेरित दृष्टिकोण लिया। मंदिर का अपना एक अद्भुत इतिहास है, जो समय के साथ अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को बनाए रखता है।
संघर्ष का अंत:धर्म और युद्ध:कोटेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास
अंत में, संघर्ष का अंत विजय के उत्सव के रूप में मनाया गया। मंदिर के प्रति समर्पित लोगों ने एकसाथ मिलकर उस संघर्ष को परास्त किया, जो उनकी समृद्धि और सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था। यह संघर्ष धर्म और आत्मरक्षा के संघर्ष का उदाहरण था। लोगों ने अपने धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के लिए खड़े होकर इस संघर्ष में भाग लिया।
आखिरी विचार: एक अद्वितीय धारणा
नंदी पर चला हथियार – यह कथा एक अद्वितीय धारणा को दर्शाती है कि जब जनता एकत्र होती है और अपने मूल्यों के लिए लड़ती है, तो वह अपराजेय होती है।
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